नई दिल्ली | 21 नवंबर: नई दिल्ली में आज का दिन एलजी ऑफिस के बाहर हुए प्रदर्शन और फिर कश्मीरी गेट पर चलाए गए “संवेदनाओं के हाईवे” के नाम रहा। होमगार्ड के 2346 उम्मीदवार, जिनकी नियुक्ति को हरी झंडी दी जा चुकी है, अपनी मांगों को लेकर सुबह एलजी ऑफिस के बाहर इकट्ठा हुए। हालांकि, प्रशासन ने मानो उन्हें “स्वच्छ दिल्ली अभियान” के हिस्से की तरह वहां से साफ कर दिया।
दरअसल ये पूरा मामला धाँधलेबाज़ी का है, 12 तारिक को एक रिपोर्ट के मुताबिक LG ने एक बयान दिया था की जीतने भी एलजी ने उन 2346 होमगार्ड्स की तुरंत नियुक्ति का निर्देश दिया है, जिन्होंने शारीरिक माप और दक्षता परीक्षण (PMET) और लिखित परीक्षा पास की है। एलजी वी. के. सक्सेना ने यह भी निर्देश दिया है कि योग्य उम्मीदवारों के मेडिकल परीक्षण के लिए एक हफ्ते के भीतर एक मेडिकल कैप लगाया जाए और जल्द से जल्द उनके नियुक्ति पत्र सौंपे जाएं।

प्रदर्शन का प्लॉट ट्विस्ट
प्रदर्शनकारियों को एलजी ऑफिस के बाहर से खदेड़े जाने के बाद उनकी “लोकल ट्रेन” कश्मीरी गेट की ओर बढ़ी। वहां पर वे मीडिया वालों के सामने अपनी बात रखने लगे। कैमरों और माइक के सामने मानो “सच का सितार” बजने लगा। उम्मीदवारों ने आरोप लगाया कि इस पूरी प्रक्रिया में देरी के पीछे सिर्फ प्रशासन की उदासीनता नहीं, बल्कि “घूसखोरी का गीत” भी गूंज रहा है।

एस पूरे मामले मे इन युवाओ की कोई सुनवाई नहीं की जा रही लगातार इन्हे प्रदर्शन करने पर रोक लगाया जा रहा है, जगह जगह इन्हे प्रशासन के डंडे भी खाने पढ़ रहे है, कई बार जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने की अर्जी खारिज भी कर दी गई है, आखिर कौन इनकी सुनवाई करेगा, कौन इनके साथ खड़ा रहेगा?
एलजी की गलती: एक नहीं, कई
एलजी साहब के आदेश पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू तो हुई, लेकिन इसे पूरा करने में जितनी देरी हुई, उससे प्रशासन की योग्यता पर सवाल खड़े हो गए।
- आदेश तो दिया, पर अमल कब होगा?
- मेडिकल कैम्प का आदेश तो दिया गया, लेकिन लगता है मेडिकल टीम को भी प्रशासन की “सुपर-सलो ट्रेन” में बैठा दिया गया।
- घूसखोरी की बू:
- कई उम्मीदवारों का दावा है कि नियुक्ति प्रक्रिया में पैरवी और “चाय-पानी” का खेल चल रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि कहीं ये नियुक्ति प्रक्रिया प्रशासन के बजट से ज्यादा, किसी और “बजट” पर तो नहीं चल रही?
- अदालत का आदेश और यथास्थिति का मजाक:
- हाई कोर्ट के यथास्थिति आदेश का हवाला देकर प्रशासन 7939 पदों पर नियुक्ति में देरी कर रहा है। लेकिन 2346 उम्मीदवारों के लिए कौन सी “यथास्थिति” बनाई जा रही है, ये समझ से परे है।

प्रदर्शनकारियों की व्यथा:
कश्मीरी गेट पर प्रदर्शनकारियों ने कहा, “हमें बार-बार मेडिकल के नाम पर दौड़ाया जा रहा है। क्या होमगार्ड बनने से पहले ही हमें मैराथन धावक बनाना है?” एक अन्य उम्मीदवार ने कहा, “हमने घूस देने की कोशिश की होती, तो शायद हम आज प्रदर्शन के बजाय सरकारी कुर्सी पर बैठे होते।”
प्रशासन की स्थिति:
प्रशासन का कहना है कि नियुक्ति प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ की जा रही है। हालांकि, प्रदर्शनकारियों और मीडिया के सवालों से लगता है कि इस पारदर्शिता में कहीं धुंध छाई हुई है।
क्या होगा आगे?
अब देखना यह है कि एलजी साहब के आदेशों का पालन कब होता है और यह नियुक्ति प्रक्रिया घूसखोरी के आरोपों से खुद को कैसे बचाती है। लेकिन फिलहाल तो कश्मीरी गेट पर उम्मीद और आक्रोश का ट्रैफिक जाम लगा हुआ है।
“हमारे एलजी साहब का आदेश जितना बड़ा है, उतनी ही बड़ी इस पूरी प्रक्रिया की गड़बड़ियां भी लग रही हैं। अब देखना है कि ये नियुक्ति उम्मीदवारों के लिए वरदान बनती है या फिर एक और प्रशासनिक ड्रामा!”