Headlines

बिहार कोकिला शारदा सिन्हा का निधन, छठ पूजा से पहले AIIMS में ली आखिरी सांस

नई दिल्ली | 6 नवंबर: बिहार की फोक सिंगर और अपने छठ गीतों के लिए लगभग हर दिलों में बसने वालीं शारदा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं रहीं। शारदा सिन्हा लंबे समय से कैंसर से जंग लड़ रही थीं। दिल्ली एम्स में हॉस्पिटलाइज शारदा सिन्हा की हालत बिगड़ने के बाद वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया था।

Highlights

  • छठ गीतों के लिए लगभग हर दिलों में बसनें वालीं फोक सिंगर शारदा सिन्हा का निधन
  • शारदा सिन्हा लंबे समय से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जंग लड़ रही थीं
  • हालांकि, उनकी हालत तब से अधिक खराब हुई जब हाल में ही उनके पति का निधन हुआ

शारदा सिन्हा: लोकगीतों की सम्राज्ञी का अवसान

देश के सुप्रसिद्ध लोकगायिका और भोजपुरी, मैथिली एवं मगही गीतों में अपनी पहचान बनाने वाली शारदा सिन्हा का निधन 6 नवंबर, 2024 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में हो गया। शारदा जी ने 72 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थीं और इलाज के लिए दिल्ली में भर्ती थीं। उनकी मृत्यु से पूरे देश में शोक की लहर है, विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और पूर्वांचल में उनके असंख्य प्रशंसकों के बीच गहरा दुःख छाया हुआ है।

लोकगीतों की महान हस्ती

शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में हुआ था। बचपन से ही उनका झुकाव संगीत की ओर था और उन्होंने अपनी साधना और कड़ी मेहनत के बल पर भारतीय लोकगीतों में एक अमिट पहचान बनाई। उनके गीत केवल भोजपुरिया समाज तक सीमित नहीं रहे, बल्कि वे पूरी दुनिया में चर्चित हुए। उनके गीतों में भारतीय संस्कृति, परंपराओं और भावनाओं की छवि स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। शारदा जी को विशेष रूप से छठ महापर्व के गीतों के लिए जाना जाता है, जिनमें उनके गीत “केलवा के पात पर” और “हमरे गौरा के बिरवा” आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं।

संगीत में योगदान और पुरस्कार

शारदा सिन्हा को उनके अद्वितीय योगदान के लिए पद्म भूषण और पद्म श्री जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्होंने लोकगीतों को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया और उनकी प्रस्तुतियों में एक अलग ही आत्मीयता और संजीदगी थी। उनके गीतों में जो सादगी और भावनात्मक गहराई होती थी, वह अन्यत्र दुर्लभ थी। उनकी आवाज़ में एक शक्ति थी, जो सीधे श्रोताओं के दिल को छू जाती थी।

छठ महापर्व का पर्याय

छठ पूजा में उनकी आवाज़ की गूंज हर गली-मुहल्ले में सुनाई देती थी। शारदा जी के गीत छठ महापर्व के दौरान एक अनिवार्य हिस्सा बन चुके थे, जिनके बिना छठ पर्व अधूरा सा लगता था। उनके गीतों में छठ मैया के प्रति श्रद्धा, आस्था और भारतीय लोकजीवन की गहरी संवेदनाओं का चित्रण देखने को मिलता है।

अमर रहेंगी शारदा सिन्हा की विरासत

शारदा सिन्हा का निधन भारतीय संगीत और लोकसंस्कृति के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति है। उन्होंने न केवल बिहार और पूर्वांचल बल्कि पूरे विश्व में भारतीय लोकसंगीत की पहचान बनाई। उनकी आवाज़ हमेशा हमारे साथ रहेगी और उनके गीतों के माध्यम से उनकी अमर छवि हमारे दिलों में बसी रहेगी। शारदा जी की विरासत को संजोना और आगे बढ़ाना हम सबकी जिम्मेदारी है।

भारत की इस महान लोकगायिका को श्रद्धांजलि, जिन्होंने अपने गीतों से अनगिनत दिलों को छुआ और जीवन को संगीतमय बनाया।

Follow on: Instagram- https://www.instagram.com/thejhuthnews/
Follow on: Twitter (X)- https://x.com/Thejhuthnews
Follow on: Facebook- https://www.facebook.com/profile.php?id=61560353206985

Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *