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पराली जलाने वालों पर नहीं हो रही कार्रवाई’

सख्त टिप्पणी कर SC ने मामले में पंजाब और हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी को जारी किया समन

नई दिल्ली | अक्टूबर 17: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार की इस वात को लेकर जमकर खिंचाई की है कि उसने पराली जलाने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों के चीफ सेक्रेटरी को समन जारी किया है और अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश होने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कमिशन फॉर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट से कहा है कि वह हरियाणा और पंजाव सरकार के उन अधिकारियों के खिलाफ ऐक्शन ले जिन्होंने पराली जलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएस ओका की अगुवाई वाली वेंच में मामले की सुनवाई हुई। सीएक्यूएम ने पराली जलाने से रोकने के लिए जून 2021 में निर्देश जारी किए थे जिस पर अमल नहीं किए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों की जमकर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीएक्यूएम ने जो आदेश जारी किया था वह तीन साल पुराना है। प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए यह निर्देश जारी किए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एयर पल्यूशन दशकों से जारी है। लेकिन अभी तक राज्य इस मामले में कंट्रोल करने में विफल रही है।

हरियाणा-पंजाब पर सख्त टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से सवाल किया कि उसने सीएक्यूएम के निर्देश पर अमल क्यों नहीं किया। जिन लोगों ने आदेश का उल्लंघन किया है उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। इसरो ने आपको वताया था कि फायर की लोकेशन क्या है लेकिन आप कह रहे हैं कि आपको पता नहीं कि पराली कहां जलाई जा रही है। कोई पराली जलाने वालों पर ऐक्शन नहीं ले रहा है। उन पर मामूली जुर्माना लगाया जा रहा है। यह सब क्या हो रहा है? यह राज्य और उनके चीफ सेक्रेटरी का गैर संवेदनशील रवैया को दिखाता है। क्या चीफ सेक्रेटरी किसी और के कहने पर काम कर रहे है.. हमें वताया जाए। हम उन्हें समन जारी करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हरियाणा सरकार ने एक भी पीनल ऐक्शन नहीं लिया। सीएक्यूएम एक्ट की धारा-14 के तहत उचित कार्रवाई नहीं करने के मामूाले में राज्य के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ संबंधित अथॉरिटी एक्शन ले।

पंजाब सरकार के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आदेश के उल्लंघन के मामले में आप चुप्पी साधे हुए है। सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा – कि इन आदेशों का धरातल पर अमल काफी कठिन – काम है। इस पर जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि क्या – सुप्रीम कोर्ट इस वात को रेकॉर्ड पर ले ले कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था के अनुपालन में असमर्थ है? – इस पर पंजाव सरकार के वकील ने कहा कि कदम – उठाए गए हैं। जो भी किसान पराली जलाने को लेकर

जिम्मेदार हैं उनके रेवेन्यू रेकॉर्ड पर रेड एंट्री की गई है।

266 घटनाएं, लेकिन FIR सिर्फ 14

अदालत ने कहा कि इसरो प्रोटोकॉल के मुताविक 266 आग की घटना देखने को मिली है। 103 से सिर्फ मामूली जुर्माना लिया गाय है। पराली जलाने के मामले में भारतीय न्याय संहिता की धारा-233 के तहत सिर्फ 14 एफआईआर दर्ज की गई हैं। राज्य का जो डेटा है उसके तहत 267 उल्लंघनकर्ता है और सिर्फ 122 पर ऐक्शन हुआ है। अदालत ने कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान 3 अक्टूबर को राज्य की ओर से गुमराह करने वाले वयान दिए गए। राज्य सरकार ने कहा था कि केंद्र को प्रस्ताव दिया गया है कि वह छोटे किसानों के ट्रैक्टर, डीजल और ड्राइव के लिए फंड मुहैया कराए। लेकिन 16 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से पेश एडवोकेट जनरल ने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है।

ग्राउंड पर असर दिख जाए

समझिए खबरों के शीर्ष अदालत पहले भी अंदर की बात कह चुकी है कि पंजाब और

हरियाणा सरकार ने कोई दस्तावेज ऐसा पेश नहीं किया जिससे यह पता चले कि कमिशन ने जो निर्देश जारी किए थे उसके पालन के लिए कोई प्रयास किया गया हो। सीएक्यूएम ने जो हलफनामा पेश किया है उससे जाहिर होता है कि उसके खुद के निर्देश के अनुपालन के लिए उसने कोई प्रयास नहीं किया। सीएक्यूएम की सेफगार्डिंग और एन्फोर्समेंट के लिए सब कमिटी है जिसकी बैठक 29 अगस्त को हुई थी लेकिन उसमें निर्देश के अमल पर कोई चर्चा तक नहीं हुई। सुप्रीम कोर्ट ने सीएक्यूएम इस बात को लेकर खिंचाई की थी कि उसने पराली जलाए जाने से रोकने के लिए अपने ही निर्देश को लागू कराने का प्रयास नहीं किया। अब दोनों राज्यों के चीफ सेक्रेटरी तलब हुए हैं जो निश्चित तौर पर ग्राउंड पर इस ऑर्डर का असर देखने को मिल सकता है ऐसी संभावना है।

क्वॉलिफिकेशन को लेकर सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सीएक्यूएम मेंबर के क्वॉलिफिकेशन को लेकर अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एश्वर्या भाटी से सवाल किए। जस्टिस ओका ने कहा कि जो भी सदस्य हैं उनको लेकर काफी आदर का भाव है। लेकिन ये लोग एयर पल्यूशन के मामले में फिल्ड एक्सपर्ट नहीं हैं। अदालत ने सीएक्यूएम से कहा है कि वह एक्सपर्ट एजेंसी को काम पर लगाएं ताकि गंभीर विषय का निपटारा हो सके। सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 23 अक्टूबर की तारीख तय की है।

खराब हुई हवा

नई दिल्ली राजधानी की हवा एक दिन बाद ही दोबारा खराब हो गई है। हवाओं की कम हुई रफ्तार इसकी वजह रही। अगले कुछ दिनों तक प्रदूषण का स्तर खराब बना रह सकता है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के एयर बुलेटिन के अनुसार दिल्ली का एक्यूआई 230 रहा।

हवाओं की रफ्तार कम होना बनी बड़ी वजह

मुख्य प्रदूपक पीएम 10 और ओजोन रहे। वहीं फरीदाबाद का एक्यूआई 206, गाजियाबाद का 203, ग्रेटर नोएडा का 178, गुरुग्राम का 174 और नोएडा का 159 रहा। पूर्वानुमान के अनुसार 17 से 19 अक्टूबर तक प्रदूषण का स्तर खराब रहेगा। इसके बाद अगले छह दिनों तक इसका स्तर खराब से सामान्य रह सकता है। बुधवार को हवाएं मिश्रित दिशा से आईं। इनकी गति 6 से 15 किमी प्रति घंटे की रही। 17 अक्टूबर को हवाओं की गति 6 से 12 किमी प्रति घंटे, 18 अक्टूबर को 10 से 12 किमी और 19 अक्टूबर को 12 से 10 किमी प्रति घंटे की रह सकती है।

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