नई दिल्ली | 21 सितंबर: दिल्ली की नई कैविनेट में दलित समुदाय का एक मंत्री जरूर होगा, यह तो पहले से तय था लेकिन वह मंत्री कौन होगा, इसको लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे। कुलदीप कुमार, राखी विड्लान, विशेष रवि, गिरीश सोनी, अजय दत्त जैसे कुछ संभावित दावेदारों के नाम भी सामने आ रहे थे, लेकिन AAP ने सुल्तानपुर माजरा के विधायक मुकेश कुमार अहलावत पर दांव लगाया है। इसके पीछे दो प्रमुख कारण माने जा रहे हैं।
दिल्ली की 70 में से 12 विधानसभा सीटें दलित सुमदाय के कैंडिडेट के लिए रिजर्व हैं। पिछले चुनाव में ये सभी सीटें AAP ने जीती थीं, लेकिन इस साल लोकसभा चुनाव के पहले पटेल नगर के AAP विधायक राजकुमार आनंद ने पार्टी छोड़कर BSP और फिर BJP का दामन थाम लिया। उनके वाद सीमापुरी के विधायक राजेंद्र पाल गौतम भी AAP छोड़कर कांग्रेस में चले गए। वची 10 सीटों में से राखी विड़लान, विशेष रवि, कुलदीप कुमार और गिरीश सोनी को मंत्री पद का तगड़ा दावेदार माना जा रहा था, लेकिन उनपर मुकेश अहलावत को तरजीह सभी देते हुए पार्टी ने एक तीर से दो निशाने साधने का काम किया है।
जानकारों का कहना है कि मुकेश दलित समुदाय के साथ-साथ दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्र का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। AAP को पिछले चुनाव में दलितों के साथ-साथ ग्रामीणों का भी भरपूर साथ मिला था और लगभग सभी ग्रामीण इलाकों में पार्टी जीत
मुकेश अहलावत 2020 में पहली बार AAP के टिकट पर चुनाव जीते थे
हासिल करने में कामयाव रही थी। लेकिन, पिछले कुछ समय से सरकार पर ग्रामीण इलाकों की उपेक्षा के आरोप लग रहे थे। वहीं, पार्टी छोड़कर गए दोनों मंत्रियों ने भी पार्टी और सरकार पर दलितों की उपेक्षा के आरोप लगाए थे। दिल्ली में करीव 12% दलित वोटर हैं। माना जा रहा है कि मुकेश कुमार को मंत्री वनाकर पार्टी दलितों के साथ-साथ ग्रामीण वोटरों को भी साधने में कामयाव रहेगी।
48 वर्षीय मुकेश अहलावत 2020 में पहली बार AAP के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक वने थे। हालांकि, उन्होंने 2013 में वहुजन समाज पार्टी के टिकट पर भी सुल्तानपुर माजरा से चुनाव लड़ा था, लेकिन तव वह कांग्रेस उम्मीदवार जय किशन से चुनाव हार गए थे। उस वक्त AAP ने संदीप कुमार को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया था। बाद में 2015 के चुनाव में पार्टी ने संदीप कुमार को फिर से मैदान में उतारा और जीतने के वाद अरविंद केजरीवाल ने उन्हें सरकार में मंत्री भी वनाया, लेकिन 2016 में यौन शोषण के आरोप लगने के वाद उन्हें पद से हटा दिया गया। अव एक वार फिर सुल्तानपुर माजरा के विधायक को दिल्ली सरकार में मंत्री के रूप में जगह मिलेगी।
वैसे अहलावत की गिनती AAP के रईस विधायकों में भी होती है। पिछले चुनाव में उन्होंने जो शपथ पत्र दाखिल किया था उसके अनुसार उनके पास 6 करोड़ से अधिक की चल-अचल संपत्ति है। उससे पहले 2013 के चुनाव में उन्होंने जो शपथ पत्र दाखिल किया था, तव उनकी संपत्ति 12 करोड़ रुपये से अधिक थी। न, पीतमपुरा के एक प्राइवेट स्कूल से 12वीं ण पास अहलावत पेशे से व्यवसायी हैं औरवर्तमान में पार्टी की राजस्थान इकाई के सह-प्रभारी भी हैं।
इसलिए खाली रहेगा एक मंत्री पदः दिल्ली की कैविनेट में मुख्यमंत्री के अलावा 6 मंत्री और होते हैं, लेकिन पार्टी सूत्रों से पता चला है कि सरकार में 5 ही मंत्री शामिल होंगे। छठे मंत्री का पद खाली ही रखा जाएगा। कहा जा रहा है कि मंत्रालयों में ज्यादा फेरवदल करने की वजह से सरकार के कामकाज पर असर – पड़ने की आशंका के मद्देनजर यह निर्णय – लिया गया है। अहलावत को जो मंत्रालय – दिए जाएंगे, वो पहले राजकुमार आनंद के पास था। उनके इस्तीफे के वाद ये विभाग न खाली पड़े थे।
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