लोगों ने पूजा स्थल के आसपास तालाबों और बड़े टबों में किया गणपति विसर्जन
■ शमी रंजन संवाददाता, नई दिल्ली
गणपति विसर्जन के साथ 10 दिन तक हुआ उत्सव संपन्न हो गया। मंगलवार को यमुना के घाटों, झीलों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। लोगों को यमुना किनारे नहीं जाने दिया जा रहा था। कुछ यमुना घाटों, झीलों में प्रशासन ने किए थे कड़े इंतजाम लोग अपने छोटे छोटे गणपति लेकर विसर्जन के लिए पहुंचे, लेकिन इन्हें लौटा दिया गया। हालांकि रोक के वावजूद कुछ लोगों ने यमुना में विसर्जन किया, लेकिन इनकी संख्या काफी कम रही। अधिकांश लोगों ने पूजा स्थल के आसपास ही तालावों, टवों में गणपति का विसर्जन किया। कुछ पूजा समितियां अपने गणपति का विसर्जन करने सुवह ही दिल्ली से दूर रवाना हो गईं। झंडेवालान देवी मंदिर में सात सितंबर से चल रहा गणेश उत्सव मंगलवार को संपन्न हुआ। यहां मंदिर प्रांगण में ही प्रतिमा का विसर्जन किया गया। इसके लिए यहां कृत्रिम तालाव वनाया गया था। द्वारका की हैपी होम सोसायटी में गणेश प्रतिमा का विसर्जन टव में किया गया। प्रतिमा घुल के वाद टव के पानी को लोगों ने अपने घरों के गमलों आदि में डाल दिया।
50 से अधिक कृत्रिम तालाब
दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की सूचना के बाद जिला प्रशासन की तरफ से 50 से अधिक कृत्रिम तालाब राजधानी में बनाए गए थे। आमतौर पर गणेश विसर्जन के लिए 150 से अधिक तालाब बनाए जाते हैं। संख्या कम होने की वजह से श्रद्धालुओं को जानकारी नहीं मिल पाई। ऐसे में काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने खुद ही विसर्जन की व्यवस्था की थी। ईस्ट दिल्ली में यमुना के किनारे ही कुछ जगहों पर गणेश विसर्जन के लिए कृत्रिम तालाब बनाए गए थे।
गणपति विसर्जन के साथ 10 दिन तक हुआ उत्सव संपन्न हो गया। घाटों पर सुरक्षाकर्मी रहे तैनात।
कई जगहों पर सुरक्षा कर्मी रहे तैनात
डीपीसीसी अधिकारी के अनुसार दिल्ली पुलिस, सिविल डिफेंस वॉलेंटियर और जिला प्रशासन की तरफ से यमुना में कई जगहों पर सुरक्षा कर्मी लगाए गए। यह सभी उन जगहों पर लगाए गए थे, जहां विसर्जन की संभावना रहती है। डीपीसीसी के अनुसार कुछ साल पहले तक यमुना में करीब 10 हजार से अधिक प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता था।
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