सुप्रीम कोर्ट: आवकारी नैनेति से संबंधित करान मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के सीएम अर्थविद केजरीवाल को जमानत दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केजरीवाल को हिरासत में रखना उन्हें स्वतंत्रता के अधिकार से नंचित करने जैसा होगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सीजीआई की भी जमका खिंचाई की और गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठाया और कहा कि सीबीआई को निश्चित ही पिंजरे के तोते गाती भधारणा से खुद को दूर करना होगा। । उसे दिखाना चाहिए कि एए कि वह पिंजरे का तोता नहीं है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बंच ने केजरीवाल को जमानत देते हुए निर्देश दिया कि 10 लाख रुपये का बेल वॉन्ड भरा जाए और साथ ही दो जमानती पेश किए जाएं। सुप्रीम कोर्ट नेकहा है कि इंडी क्स में मिली जमानत के दौरान जो शर्ते लगाई गई है वह शतं इस मामले में भी जमानत के दौरान लागू होगी। जमानत की शर्त के मुताविक, केजरीवाल सीएम ऑफिस नहीं जा सकेंगे और साथ ही वह दिल्ली सचिवालय भी नहीं जाएंगे और दस्तावेज पर दस्तखत नहीं करेंगे। एलजी को मंजूरी के लिए अगर दस्तखत अनिवार्य होगा तव वह दस्तखत कर पाहो।
सुप्रीम कोर्ट के दोनों जस्टिस सूर्यकाल और जस्टिस भुइयां ने अलग अलग फैसला लिखा लेकिन एकमत से जमानत देने का फैसला किया। अदालत ने कहा है कि मौजूदा मामले में भविष्य में ट्रायल जल्दी पूरा होने की कोई संभावना नहीं है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की उस दलील को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि साक्ष्यों को प्रभावित किया जा सकता है। केजरीवाल दो अर्जी दाखिल की थी। एक अजी में उन्होंने जमानत की मांग की थी और दूसरी अजों में सीबीआई को गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। सीबीआई ने केजरीवाल को करपान केस में 26 जून को गिरफ्तार किया था। मनी लॉन्डिंग केस में केजरीवाल को कोर्ट ने 12 जुलाई को जमानत दे दी थे। केजरीवाल ने करप्शन मामले में जमानत की अर्जी दाखिल की थी, साथ ही गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील के बाद
5 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
गिरफ्तारी को वैध करार दिया, • लेकिन टाइमिंग पर उठाए सवाल
■ जस्टिस भुइया ने सीबीआई को याद दिलाते हुए कहा कि उनकी ■ ड्यूटी है कि वह निष्पक्ष जांच करें। सीबीआई देश की प्रीमियर जांच एजेंसी है। इस तरह की किसी भी धारणा को खत्म करना होगा कि ■ सीबीआई फेयर काम नहीं कर रही है, उसकी गिरफ्तारी ज्यादती है व पक्षपातपूर्ण है। यह अत्यंत जरूरी है कि सीबीआई इस अवधारणा ■ को खत्म करे कि वह पिंजरे का तोता है। बल्कि यह अवधारणा ■ कायम करना चाहिए कि वह पिंजरे का तोता नहीं है। वैध करार दिया
जस्टिस सूर्यकांत ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को – और कहा कि जो प्रक्रिया अपनाई गई, उसमें कोई अनियमितता नहीं है। इस दलील में कोई दम नहीं है कि सीबीआई ने गिरफ्तारी के लिए सीआरपीसी की धारा 41 के तहत प्रक्रिया का पालन नहीं किया। ■ दोनों ही जज ने कहा कि केजरीवाल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल ■ की जा चुकी है और ट्रायल जल्दी खत्म होने वाला नहीं। लेकिन जस्टिस भुझ्यां ने सीबीआई की गिरफ्तारी की टाइमिंग पर सवाल उठाया और कहा कि सबीआई ने केजरीवाल को इस ■ मामले में 22 महीने तक गिरफ्तार नहीं किया। यानी 22 महीने उन्हें गिरफ्तारी की जरूरत नहीं महसूस हुई। जस्टिस भुझ्यां ने कहा कि हम इस बात को समझने में अक्षम है कि सीबीआई को गिरफ्तारी करने की जल्दी क्या थी ? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई गिरफ्तारी को जस्टिफाई नहीं केस में जमानत के मौके पर उसने गिरफ्तारी की • ताकि जमानत बेमतलब हो जाए।