यह कलाकार का काम है
नई दिल्ली | 15 दिसंबर: वायस ओवर से लेकर डांस तक, अभिनय में कामेडी से लेकर नकारात्मक भूमिका निभाने तक, जावेद जाफरी जब भी बड़े पर्दे पर आते हैं, दर्शक आश्चर्य से भर जाते हैं। स्वयं को इतने ढांचों में ढालने के लिए जावेद अपनाते हैं क्या प्रक्रिया…
करियर की शुरुआत ‘मेरी जंग’ फिल्म में निगेटिव रोल से करने वाले अभिनेता जावेद जाफरी यूं तो कामेडी में भी माहिर हैं, लेकिन डिजिटल प्लेटफार्म पर वह पिछले कुछ समय से निगेटिव रोल कर रहे हैं। अमेजन एमएक्स प्लेयर की वेब सीरीज ‘मोहरे’ में नजर आए जावेद कहते हैं, ‘कलाकारों को हर तरह का काम करने के मौके मिलने चाहिए। कई बार कलाकारों को उनके लुक्स और कद-काठी देखकर ही नकार दिया जाता है। मेरे साथ भी ऐसा हुआ है। एक बड़े निर्देशक ने कहा था कि जावेद फलां फिल्म के रोल में मासूम नहीं लगेंगे। उसके तुरंत बाद मैंने ‘धमाल’ फिल्म की थी, जिसमें मेरा पात्र मानव बेहद मासूम था। ‘धमाल 4’ में वह पात्र फिर लौटेगा, लेकिन वह उम्र के अनुसार पहले से अलग होगा। खुद को अगर आप किसी ढांचे में फिट करना चाहें, तो आप वह बन सकते हैं। वही तो अभिनय का हिस्सा है। यह कलाकार का काम है कि आप वह प्रात्र लगें। आपको होमवर्क करना चाहिए कि इस पात्र को कैसे निभाना है। वह होमवर्क किरदारों के बीच अंतर करा देता है। फिल्म ‘जादूगर’ में मेरे पात्र का एक्सीडेंट की वजह से आत्मविश्वास कम हो जाता है। मैंने निर्देशक से कहा कि अब मेरा पात्र थोड़ा अटककर
बात करेगा। इसके लिए मैंने स्क्रिप्ट में क से शुरू होने वाले शब्दों को मार्क किया। कई बार लाइनों में दो बार क वाले शब्द आ जाते थे, तो उसमें से छांटता था कि किस पर अटकना है और किस पर नहीं। यह सब होमवर्क होता है, वही आपके क्राफ्ट को निखारता है।’
यह कलाकार का काम है
भीड़ में अलग दिखना है मुश्किल
लगातार डिजिटल प्लेटफार्म पर काम कर रहे जावेद इतने कंटेंट के बीच खुद के लिए कैसे अच्छी कहानियां तलाश रहे हैं? इस पर वह कहते हैं, ‘कंटेंट की भीड़ तो है और भीड़ में अपने आप को थोड़ा अलग दिखाना
किस्मत की बात है। मेरा मानना है कि आपके शो का प्रोमो कैसा कट हुआ है, उससे बहुत फर्क पड़ता है। साथ ही काफी हद तक ट्रेलर पर भी निर्भर होता है, जिसे देखकर दर्शक तय करते हैं कि उन्हें क्या देखना है और क्या नहीं। शाह रुख खान, सलमान खान की कितनी ही फालोइंग हो, ट्रेलर अच्छा लगा, तो दर्शक उनकी फिल्में देखेंगे। 40 साल से इस इंडस्ट्री में काम कर रहा हूं, समझ आ जाता है कि किसमें दम, किसमें नहीं।’
आईना जरूरी है
क्या 40 वर्षों तक काम करने के बाद जावेद को किसी से मान्यता चाहिए कि वह कैसे कलाकार हैं? इस पर वह कहते हैं, ‘हम सुबह उठकर शीशे में खुद को क्यों देखते हैं कि बाल कैसे हैं, चेहरा सही तो दिख रहा है। फिर उसे ठीक करते हैं। ऐसे ही आपको एक शीशा चाहिए होता है। एक्टर के लिए वह निर्देशक होता है, जो किसी सीन में कह सकता है कि अपनी मुस्कान थोड़ी कम करिए। मुझे तो वह मुस्कान नहीं दिख रही है, लेकिन निर्देशक देख रहा है। वही मेरा शीशा है। जब आप डांस करते हैं, तो कोई चाहिए होता है जो बताए कि आप सही तरीके से डांस कर रहे हैं या नहीं। डांस के दौरान यह काम शुरुआती दौर में नावेद (जावेद के भाई नावेद जाफरी) ने किया है। मैं जब इंडस्ट्री में आया था और जिस किस्म का डांस करता था, वैसा डांस इंडस्ट्री में उस वक्त कम ही लोग करते थे। उनको पता होता था कि मैं और बेहतर डांस कर सकता हूं। नावेद पीछे खड़े होकर कहता था कि एक और कर। उसके इशारे देखकर मैं कहता था कि मास्टर जी एक और करते हैं।
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