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आंखें खोलिए, अब कानून ‘अंधा’ नहीं…

■ सुप्रीम कोर्ट के जजों की लाइब्रेरी में न्याय की देवी का स्टैच्यू था। देवी की आंखों पर पट्टी, एक हाथ में तलवार और दूसरे में तराजू, इसका मतलब था अदालतें राय के लिए धन, ताकत या हैसियत नहीं देखतीं। सब बराबर हैं।

■ बाद में आंख पर लगी पट्टी को इस तरह पेश किया जाने लगा कि कानून अंधा होता है। अब नया स्टैच्यू लगा है, आंख से पट्टी हटा दी गई है। तलवार की जगह हाथ में संविधान है, यानी कोर्ट संविधान के तहत काम करता है

आंखों से हटी पट्टी, हाथ में संविधान…

‘न्याय की देवी’ की प्रतिमा में दिखे ये बदलावसुप्रीम कोर्ट में ‘न्याय की देवी’ वाली प्रतिमा में बड़े बदलाव किए गए हैं. अबतक इस प्रतिमा पर लगी आंखों से पट्टी हटा दी गई है. वहीं, हाथ में तलवार की जगह भारत के संविधान की कॉपी रखी गई है.

अक्सर आपने देश की अदालतों, फिल्मों और कानूनविदों के चेंबर्स में आंखों पर बंधी पट्टी के साथ न्याय की देवी की मूर्ति को देखा होगा। लेकिन अब नए भारत की न्याय की देवी की आंखें खुल गईं हैं। यहां तक कि उनके हाथ में तलवार की जगह संविधान आ गया है। दरअसल, कुछ समय पहले ही अंग्रेजों के कानून बदले गए हैं और अब भारतीय न्यायपालिका ने भी ब्रिटिश काल को पीछे छोड़ते हुए नया रंगरूप अपनाना शुरू कर दिया है।

देवी की आंखों पर बंधी पट्टी हटाई गई

सुप्रीम कोर्ट का ना केवल प्रतीक बदला रहा है बल्कि सालों से न्याय की देवी की आंखों पर बंधी पट्टी भी हट गई है। जाहिर है कि सुप्रीम कोर्ट ने देश को संदेश दिया है कि अब ‘ कानून अंधा’ नहीं है। आपको बता दे ये सब कवायद सुप्रीम कोर्ट के CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने की है। ऐसी ही स्टेच्यू सुप्रीम कोर्ट में जजों की लाइब्रेरी में लगाई गई है।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पहल पर लगी है नई प्रतिमा

सुप्रीम कोर्ट के जजों की लाइब्रेरी में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के आदेश पर इस नई प्रतिमा को लगाया गया है. इस मूर्ति में दो अहम बदलाव हैं. पहला न्याय की देवी की आंखों में पट्टी नहीं लगी है. और दूसरा उनके हाथों में तलवार की जगह संविधान है. इसका अर्थ है कि संविधान ने नियमों के तहत न्याय होगा.

न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी का क्या अर्थ है

बता दें, कानून की देवी की आंखों में जो पट्टी बंधी होती है उसका एक खास मतलब है. आंखों पर बंधी पट्टी कानून के सामने समानता को दर्शाती है. इसका मतलब है कि कानून की नजर में सभी बराबर हैं. इसमे न पैसे वाले का महत्व, न रुतबा, ताकत और हैसियत को महत्व दिया जाता है. अदालतें अपने सामने आने वालों के धन, ताकत और हैसियत को नहीं देखती. जबकि उनके हाथ में तलवार का महत्व है कि दोषियों को दंडित करने की शक्ति भी कानून के पास है.

नई मूर्ति में क्या है खासियत

जजों की लाइब्रेरी में जो नई मूर्ति लगी है वो सफेद रंग की है. उन्होंने भारतीय परिधान- साड़ी पहनी हुई है. उनके सिर एक एक मुकुट भी है. जिस तरह पौराणिक कथाओं में देवियों के सिर पर मुकुट होने का वर्णन किया जाता है. उनके माथे पर बिंदी लगी है. उन्होंने आभूषण भी धारण किए हैं. उनके एक हाथ में पहले की तरह तराजू है, लेकिन दूसरे हाथ में तलवार की जगह संविधान है.

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