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अंतरधार्मिक रिश्ते और अपराध: श्रद्धा वॉकर केस ने क्यों हिला दी हमारी सामाजिक और नैतिक जड़ें

New Delhi | 18 November: आफताब और श्रद्धा वॉकर के केस के बारे में तो आपने सुना ही होगा, वही जिसमें आफताब ने श्रद्धा वॉकर की हत्या करके उसके शव के टुकड़ों को फ्रिज में रखा था, अब पता चला है कि लॉरेंस बिश्नोई गैंग के निशाने पर आफताब पूनावाला था, बताया जा रहा है कि बिश्नोई गिरोह के सदस्य शुभम लोनकर ने पूनावाला पर हमला करने के बारे में चर्चा की थी लेकिन बाद में कड़ी सुरक्षा को देखते हुए उसने मारने का प्लान ड्रॉप कर दिया गया था

कुछ साल पहले का वह दर्दनाक केस आज भी लोगों की स्मृतियों में जिंदा है, जिसमें आफताब पूनावाला ने अपनी साथी श्रद्धा वॉकर की निर्मम हत्या कर उसके शव के टुकड़ों को फ्रिज में रखा था। इस घटना ने केवल एक जघन्य अपराध को उजागर नहीं किया, बल्कि कई सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं पर सवाल खड़े किए।

यह मामला अंतरधार्मिक रिश्तों के प्रति समाज के पूर्वाग्रहों और उन पर आधारित हिंसा की भी गवाही देता है। लोग सवाल करते हैं: क्या हमारा समाज अभी भी ऐसे रिश्तों को सहजता से स्वीकार नहीं कर पाता है? दूसरी ओर, श्रद्धा वॉकर केस ने महिला सुरक्षा और उनके खिलाफ बढ़ते घरेलू हिंसा के मामलों पर भी नई बहस शुरू की है।

इस केस में हाल ही में एक नया खुलासा हुआ कि कुख्यात लॉरेंस बिश्नोई गैंग के सदस्य शुभम लोनकर ने जेल में आफताब पर हमला करने की योजना बनाई थी, लेकिन जेल की कड़ी सुरक्षा ने इस प्रयास को विफल कर दिया।

यह सोचने का समय है कि हमारे समाज में धर्म, हिंसा, और व्यक्तिगत अधिकार कैसे एक दूसरे से उलझे हुए हैं। हमें उन मूल्यों को पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता है, जो आधुनिक भारत को एक संवेदनशील और सुरक्षित समाज बना सकें।

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